Dil khta hai

Dil khta hai
Mere Anmol Ratan ke Janam Divas per

गुरुवार, 5 मई 2011

Dil Kehta Hai...: MAA

Dil Kehta Hai...: MAA: "माँ तुम ही तो थी माँ मेरी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा, तुम से ब्रत था, हर ब्रत उत्सव था , हर पूजा का रब था, तुम ही तो थी माँ मेरी रस हर प..."

Dil Kehta Hai...: MAA

Dil Kehta Hai...: MAA: "माँ तुम ही तो थी माँ मेरी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा, तुम से ब्रत था, हर ब्रत उत्सव था , हर पूजा का रब था, तुम ही तो थी माँ मेरी रस हर प..."

Dil Kehta Hai...: MAA

Dil Kehta Hai...: MAA: "माँ तुम ही तो थी माँ मेरी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा, तुम से ब्रत था, हर ब्रत उत्सव था , हर पूजा का रब था, तुम ही तो थी माँ मेरी रस हर प..."

Dil Kehta Hai...: MAA

Dil Kehta Hai...: MAA: "माँ तुम ही तो थी माँ मेरी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा, तुम से ब्रत था, हर ब्रत उत्सव था , हर पूजा का रब था, तुम ही तो थी माँ मेरी रस हर प..."

MAA

माँ
तुम ही तो थी  माँ मेरी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा,
तुम से ब्रत था,
हर ब्रत उत्सव था ,
हर पूजा  का रब था,
तुम ही तो थी माँ मेरी रस हर पूजा अर्चन का ,
हर रीत संस्कारो  की जननी
हर तीज के पकवानों की सृजनी ,
तुम ही तो थी माँ मेरी
हर तीज त्योहारों की संगनी
हर त्योहारों की विधि थी
नागपंचमी हो या रक्षा सूत्र का बंधन ,'
हो हरषत पूजन का विधान ,
कृषण जन्म से लेकर
गणपति जनम तक का उत्सव ,
तुम ही तो थी माँ मेरी ,
इन उत्सव की उत्सव ,
जीवन का उत्कट उत्साह ,
हर शन में विधा था ,
बस उल्लास व उत्सव ,
शिव पूजन से अभिषेको की श्रंखला
बसंत पंचमी का वह पूजन
सदा सुहागन का वह ब्रत
मंदिर की घंटी का वह रब
तुम ही तो थी माँ मेरी
हर रब मे तुम रची बसी ,
आरती ,घंटा, शंखनाद की
हर ध्वनि में  बसी हो माँ तुम,
शिव ,नंदी, गणपति का हो या पार्वती श्रृंगार
तुम ही तो थी माँ मेरी ,
कण कण में हो रची बसी ,
मंदिर की हर मूरत में
मेरी माँ तुम ही थी ,
कैसे हो पूजन अर्चन अब !
हा ह्रदय निश्तब्ध
मन हो गया शून्य,
व्यथित ह्रदय , नित थकित नयन है ,
पाये कहाँ हो माँ तुम मेरी,
रहे न धीर
नित बहे नीर
केसे समझाऊ नयन को
है ह्रदय रोये
रोये हर रग़ रग़
पाऊ कहा तुम्हे माँ ,
देख मुझे जो सजे नयन
वो मुदित  ह्रदय  तुम कहा गए !
तुम ही तो थी माँ
मेरी गंगा जमुना काबेरी
तुम से था हर तीरथ मेरा
तुम से था हर संगम मेरा
तुम ही तो थी माँ मेरी
मेरा हर सामाजिक उत्सव ,
मेरे जीवन का संबल थी ,
मेरे मंदिर की मूरत थी
देख तुम्हे सब बिसरे सुख दुःख
ह्रदय की शांति तो तुम्ही  थी माँ  ,
ह्रदय कपार  ना खोल पाया,
खो गयी तुम किस अनंत में ...