आज तुम्हारे जन्म दिवस पर
पास तुम्हारे न होकर
कैसे तुम्हे तिलक लगाओ
कैसे तुम्हे अंक मे ले स्नेहे
पलकों पर ठहरे है मोती
पल मे जहर जाएगे बन सलिल वे
दूर रहने का दुःख इस पल का
ह्रदय संजोये है विवश मन
जनम पर तुम्हारे सोल्लास हम
बार बार निरख तुम्हे न थकते थे
अपनी कृति को निहार निहार
मन मुदित होता थ बार बार
तुम्हारी बल लीलाओ को याद कर
कभी राम सी कभी श्याम सी
बालसुलभ बातो की यादे
बनी आधार है संबल सी
अब जब तुम गए हो
जीवन पथ पर चलने के लिए
कदमो तले फूल हो
राह में रहे सुरभि
षण भर भी न हो गम
साथ खुशिया हो हरदम
राह में रहे सुरभि
षण भर भी न हो गम
साथ खुशिया हो हरदम
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